मनुष्य के शरीर को स्वस्थ्य रखने में कई अंगो की प्रमुख भुमिका होती है । इनमें से लिवर मानव शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर का सबसे बड़ा अंग होता है। लिवर का कार्य हमारे शरीर में उपस्थित मेटावाॅलिजम को नियंत्रित रखना है। लिवर हमारे शरीर के दाहिने तरफ पेट में पाया जाता है और पाचन क्रियाओं को नियंत्रित करता है। लिवर को आम भाषा में जिगर के नाम से जाना जाता है। मानव शरीर में उपस्थित लिवर में पुरे शरीर का 10 प्रतिशत रक्त पाया जाता है। यह एक मिनट में लगभग 1.4 लीटर रक्त को पम्प कर सकता है ।
विषय-सूचि
लिवर बदलने की सर्जरी
लिवर शरीर में रक्त की आपूर्ती का प्रमुख स्त्रोत माना जाता है इस कारण लिवर को हम अपने शरीर का प्रमुख हिस्सा मान सकते है। यदि आप अपने यकृत की क्षमता को बढ़ाना चाहते है,तो नियमित रूप से योगा करेें। आज के समय में हर व्यक्ति को पेट से संबधित समस्या होती ही है। पेट में होने वाली अधिकतर परेशानी लिवर में गड़बढ़ी के कारण होती है। लिवर का फैटी होना, उस पर सूजन आ जाना, लिवर का इन्फेक्शन, लिवर कैंसर आदि लिवर की कुछ बिमारियाॅं है। अधिकतर समय लिवर में खराबी अधिक मात्रा में तेल या मिर्च मसालेें से युक्त भोजन करने, अधिक मात्रा में शराब, धुम्रपान व विषैले पदार्थो के सेवन से होता है। लिवर में समस्या के कारण कई बार आपकी त्वचा पर सफेद धब्बे होने लगते है, जिन्हें ‘लिवर स्पाॅट’ कहा जाता है।
पहली बार यकृत प्रत्यारोपण
यकृत में होने वाली समस्याओं से निदान पाने के लिए कई उपाय होते है। लेकिन जब समस्या अधिक बढ़ जाती है,तब आपके यकृत को प्रत्यारोपित करना पड़ता है। सर्वप्रथम लिवर का सफल प्रत्यारोपण कनाडा में सन् 1970 में किया गया था। इससे पहले भी लिवर प्रत्यारोपण को सन् 1963 में भी किया गया था परन्तु वह असफल हुआ।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें खराब हुए लिवर को नए यकृत के साथ प्रत्यारोपित कर दिया जाता है । यदि लिवर किसी मरे हुए व्यक्ति का है, तो आपके यकृत को पूर्ण रूप से बदल दिया जाता है। परन्तु यदि लिवर किसी जीवित व्यक्ति द्वारा दिया जा रहा है,तो लिवर के कुछ हिस्से को बदलने से काम चल जाता है। लिवर में अपने आप पुर्न निर्माण करने की शक्ति पायी जाती है। यदि आपको लिवर का प्रत्यारोपण करना है, तो उससे पहले दिए जाने वाले नियमों के बारे आपको जानकारी होनी चाहिए।
ज़िगर के सर्जरी के पूर्व दिए जाने वाले निर्देश निम्न है।
- ऑपरेशन करने से पहले कई प्रकार के टेस्ट जैसे- एक्स-रे, इसीजी, एम.आर.आई, रक्त की जाॅॅंच, शारीरीक परिक्षा, मूत्र विशलेषण आदि किये जाते है ।
- डॉक्टर शरीर की जाॅंच करके यह देखते है, कि आपको किस प्रकार का ऐनेस्थीसिया दिया जाना चाहिए । यदि गलत प्रकार का ऐनेथीसिया का प्रयोग किया जाता है, तो आपको श्वसन संबंधी परेशानी हो सकती है ।
- सर्जरी से पहले डाॅक्टर के द्वारा सर्जरी की पूर्ण योजना को तैयार कर ली जाती है ।
- ऑपरेशन से व्यक्ति को रक्त पतला करने वाली व प्रतिरक्षा को प्रभावित करने वाली दवाओं के सेवन करने से मना कर दिया जाता है।
- ऑपरेशन के एक दिन पहले आपको यह सूचित कर दिया जाता है, कि आपको सर्जरी के 12 से 24 घटों तक कुछ न खायें । इसे फास्टिंग कहा जाता है । इस नियम को न मानने से आपकी जान तक जा सकती है ।
- डॉक्टर के द्वारा दिए गये सभी र्निदेशो का पालन करना चाहिए । ऐसा न करने पर आपकी सर्जरी को रोका जा सकता है ।
- ज़िगर डोनर की उम्र हमेशा 18 से 60 साल के बीच में होनी चाहिए ।
- डोनर और लिवर प्राप्तकर्ता के लिवर का आकार लगभग समान ही होना चाहिए ।
इस सर्जरी के प्रकार
ज़िगर के प्रत्यारोपण की सर्जरी दो प्रकार से की जाती है। यह डोनर की स्थिती पर निर्भर करता है।
पहला प्रकार
पहले तरीका को यदि डोनर कोई मरा हुआ व्यक्ति है तो अपनाया जाता है। डोनर के मिलते ही पीड़ीत व्यक्ति को अस्पताल बुला कर भर्ती करवा दिया जाता है । उसके बाद दोनो लोगों के टेस्ट करके सर्जरी को शुरू कर दिया जाता है । सर्जरी में आपके पेट पर एक चीरा लगाया जाता है, इस चीरे का आकार आपके शरीर की बनावट पर निर्भर करता है । इसके बाद खराब या प्रभावित हुए लिवर को निकालकर डोनर के स्वस्थ्य लिवर के साथ प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस सर्जरी में लगभग 8 से 10 घटें का समय लगता है। सर्जरी के बाद आपको कुछ दिनों के लिए आई.सी.यू में रखा जाता है ।
दूसरा तरीका
दुसरे तरीके का प्रयोग तब किया जाता है,जब डोनर कोई जीवित व्यक्ति होता है । इस स्थिती में आपके लिवर को पूर्ण रूप से न प्रत्यारोपित करते हुए उस के लगभग 40 से 70 प्रतिशत हिस्से को ही बदला जाता है। इस सर्जरी में लगभग 4 से 5 घटें का समय लगता है। इस प्रकिया के बाद डोनर व लिवर प्राप्तकर्ता दोनो को आई.सी.यू. में रखा जाता है और लिवर के स्वतः पूर्ण रूप से बनने तक देखभाल की जाती है। इस प्रक्रिया में कुछ महीनों को समय लग सकता है।
सर्जरी के बाद लिवर की देखभाल
- ऑपरेशन के बाद आपको कुछ दिनों के लिए आई.सी.यू. में ही रहना चाहिये ।
- आई.सी.यू. में डाॅक्टरो व नर्साे के द्वारा आपके नए ज़िगर की कार्य करने की जाॅंच की जाती है ।
- आपको आई.सी.यू. में कम से कम 5 से 12 दिन तक रहना चाहिए।
- आई.सी.यू. से छुट्टी होने के बाद आपको निश्चित समय अंतराल पर चेकअप करवाते रहना चाहिये ।
- प्रत्यारोपण के बाद आपको अपने रक्त का टेस्ट करवाते रहना चाहिये ।
- डाॅक्टर के द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से सेवन करें ।
- शराब, धूम्रपान व विषैलेे पदार्थो के सेवन से दूर रहें।
- सर्जरी के कुछ महीनों तक अधिक तेल व मिर्च मसालों से युक्त खाने की चीजों से दूर रहें।
इस अंग को स्वस्थ्य रखने के लिए सावधानियाॅं
- हमेशा पर्याप्त मात्रा में ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
- प्रतिदिन उचित व साफ जल का सेवन करें।
- अत्यधिक तले व मिर्च मसाले वाले भोजन का सेवन न करें।
- यदि आप शराब, धूम्रपान का सेवन करते है, तो इसे तुरंत बदं कर दे या सही मात्रा में इसका सेवन करें।
- अधिक मात्रा में प्रोटिन व कर्बोहाइडेट से युक्त भोजन को सेवन करें।
- यदि आपको लिवर से संबधित कोई भी समस्या हो रही है,तो उस समस्या को डाॅक्टर का बता कर उचित परामर्श करें।