विषय-सूचि
डीपीटी वैक्सीन क्या है ?
डीपीटी वैक्सीन का प्रयोग टीके के रूप में किया जाता है | यह टीका बच्चों को बीमारी जैसी समस्या को ख़त्म करने के लिए दिया जाता है | यह टीके द्वारा हम अपने बच्चे को पर्टुसिस, टेटनस, डिप्थीरिया व संक्रामक रोग रोग जैसी समस्या का इलाज आसानी से कर सकते है | इस टीके को लगवाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बहुत बढ़ोतरी होती है | जो शिशु को कई प्रकार की जानलेवा बीमारी में मदद करता है | आइये जानते है इन बीमारियों के बारे में विस्तार से |
डिप्थीरिया क समस्या रोकने के लिए दिया जाता है
डिप्थीरिया के कारण बच्चों को साँस लेने में बहुत तकलीफ होने लगती है | जिसके कारण , लकवा और हार्ट फेल भी हो सकता है |
टिटनेस की समस्या को ख़त्म करने के लिए दिया जाता है
टिटनेस एक प्रकार की गंभीर बैक्टीरियल बीमारी है | जो धूल मट्टी के कारण बच्चे के शरीर में जन्म ले सकती है | इस बीमारी की वजह से मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं | जिसके कारण बहुत तेज दर्द का सामना करना पड़ता है |
कांली खांसी की समस्या को रोकने के लिए दिया जाता है
कांली खांसी बच्चो को होने वाली एक गंभीर समस्या है | जिसकी वजह से बच्चों को खाने, पीने और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है | अगर इस समस्या का इलाज सही समय पर नही किया गया | तो इससे बच्चे की जान भी जा सकती है |
इन्ही बीमारी को ध्यान में रखकर 1980 में पहली बार इस टीके का निर्माण किया गया | इस टीके को दो महीने के बच्चे से लेकर 15 वर्ष के बच्चों को दिया जाता है | दोस्तो आइये जानते इस टीके के बारे में विस्तार से |
डीपीटी वैक्सीन को कैसे बनाया जाता है
डीपीटी वैक्सीन को कई प्रकार की वैक्सीन के साथ मिलकर बनाया जाता है | आइये जानते है उन वैक्सीन के बारे में विस्तार से
पेंटावेलेंट वैक्सीन युक्त होता है डीपीटी वैक्सीन
डीपीटी वैक्सीन को बनाने में एचआईबी व एचईपीबी जैसी वैक्सीन को मिलाया जाता है | जो हेपेटाइटिस जैसी समस्या को खत्म करने में हमारी मदद करती है |
क्वाड्रीवेलेंट वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है
इस टीके के साथ एचआईबी को हिमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप बी जैसी बीमारी से बचाव के लिए मिलाया जाता है |
हेक्सावेलेंट वैक्सीन के द्वारा बनाई जाती है डीपीटी वैक्सीन
डीपीटी वैक्सीन में एचआईबी व एचईपीबी के साथ साथ आईपीवी जैसी वैक्सीन को भी मिलाया जाता है | जो बच्चे के शरीर को कई प्रकार के संकर्मण से दूर रख सके |
कितने प्रकार की होती है डीपीटी वैक्सीन
डीपीटी वैक्सीन दो प्रकार की होती है |
- डीटीएपी
- डीटीडब्लूपी
यह दोनों टीके में मौजूद बैक्टीरिया की मात्रा अलग अलग होती है | यह अगर बात करे
डीटीडब्लूपी – डीटीडब्लूपी का प्रयोग खास तौर से काली खांसी के बैक्टीरिया की कोशिकाओं के द्वारा बने जाती है | जो बच्चे को काली खांसी की समस्या से बचाते है | डीटीडब्लूपी को बनाने के लिए पूर्णरूप से बैक्टीरिया का प्रयोग नही किया जाता है | बैक्टीरिया के कुछ हिस्सों द्वारा इसको बनाया जाता है | जिससे बच्चे को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान ना हो सके | डीटीडब्लूपी बच्चों को प्रभावी रूप से सुरक्षा प्रदान करता है
डीटीएपी – डीटीएपी को दर्द रोधक दवा के रूप में जाना जाता है | जबकि डीटीडब्लूपी को लगवाने से व्यक्ति को अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है |
कब लगवाया जाता है डीपीटी का टीका
डीपीटी का टीका कई चरणों में लगवाया जाता है बच्चों को डीपीटी की 5 खुराक दी जाती है | आइये जानते है उन खुराक के बारे में
- 2 महीने
- 4 महीने
- 6 महीने
- 15 से 18 महीने
- 4 से 6 साल
- 11 से 12 साल में डीपीटी बूस्टर टीडीएपी की खुराक दी जाती है | लेकिन हर दस साल में एक बार इस टीके को जरुर लगवाना चाहिये |
डीपीटी वैक्सीन के द्वारा होने वाले नुकसान
डीपीटी वैक्सीन द्वारा बच्चो को कई प्रकार के नुकसान देखने को मिलते है | पर ये कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक भी हो जाते है | इसीलिए इससे डरने की कोई बात नही है | आइये जानते है | इसके साइड इफेक्ट के बारे में
- इंजेक्शन की जगह पर सूजन का आना |
- इंजेक्शन की जगह पर लगातार दर्द होना |
टीका लगाने के कुछ दिनों बाद बैचेनी होना, भूख कम लगना और उल्टी की समस्या का होना |
डीपीटी के चौथी और पाचवे टीके के बाद पैरों में सूजन का आना |
अब आइये जानते इससे जुड़े कुछ सवाल के बारे में
क्या बिल्ली के खरोचने के बाद डीपीटी टीका लगवा सकते है ?
अगर आपकी बिल्ली न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स वायरस से ग्रस्त है | तो आपको जरुर डीपीटी का टीका लगवाना चाहिये | इससे आपको टिटनेस की समस्या नही होगी |
डीपीटी वैक्सीन कटने दिनों तक हमारी रक्षा करता है ?
डीपीटी वैक्सीन को लगवाने के बाद आपको दस साल तक इस टीके की जरुरत नही पड़ती है | लेकिन दस साल बाद जरुर इस टीके को लगवाये |
डीपीटी वैक्सीन की पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक कब लगवाये ?
डीपीटी वैक्सीन की पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक लगवाने के लिए आपको अपने बच्चे को दो महीने तक रुकना चाहिये | उससे पहले इस खुराक को ना ले |